बच्चों का मानसिक विकास कैसे करें | How to Improve your Child’s Mental Health

सोचने, समझने और महसूस करने के तरीकों को मानसिक स्वास्थ्य (mental health) प्रभावित करता है। इसलिए जरूरी है कि आप अपने मानसिक स्वास्थ्य का पूरा ध्यान रखें। इसके अलावा यदि आप पैरेंट (parent) हैं, तो बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर पूरा ध्यान दें। 

बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को कैसे बेहतर बनाएं (How to build children’s mental health)

बच्चों के साथ मजबूत और केयरिंग रिश्ते बनाएं (Build strong and caring relationships with children)

बच्चों के मानसिक विकास के लिए यह बहुत जरूरी है कि उनके अपने परिवार (family) के साथ मजबूत संबंध (strong relationship) हों। साथ ही उन्हें एक-दूसरे की फिक्र करनी (care for each other) आती हो। इसके लिए परिवार को रोजाना कम से कम एक साथ डिनर या लंच (dinner or lunch) करना चाहिए। 

इस बात को बतौर पैरेंट आपको समझना होगा कि आपकी मौजूदगी बच्चों के लिए बहुत मायने (your presence plays important role in children’s life) रखती है। आप जैसा सोचते हैं, जैसा बोलते हैं, ये सब आपका छोटा बच्चा सुनता और उसे अपने अंदर लेने कोशिश करता है।

यदि आप किसी परेशानी (problem) में फंस जाएं, तो कभी भी बैक आउट (never give up) न  करें यानी हार न मानें। यदि ऐसा करेंगे, तो बच्चे के मनःस्थिति (psychologoy) पर फर्क पड़ेगा और हारने के बहाने तलाशने लगेगा। यदि वह कोशिशों के बावजूद सफल (success) नहीं हो पा रहा है, तो आप उसकी मदद (help him) करें।

बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ाएं (Build confidence in children)

बच्चों का आत्मविश्वास (confidence) काफी हद तक पेरेंट्स (parents) के व्यवहार पर निर्भर (depends on your behaviour) करता है। इसलिए बच्चों को हर समय प्यार और अपनापन (love and acceptance) जताते रहें। बच्चे जो भी कर रहे हैं, जितना भी प्रयास (try) कर रहे हैं, उसके लिए उन्हें हमेशा प्रोत्साहित (motivate) करते रहें।

लेकिन ध्यान रखें कि आपको जो पसंद है, उस ओर बच्चों का ध्यान आकर्षित (attract) करने कोशिश न करें। इसके बजाय बच्चों से उनकी रुचि (interest) के बारे में जानें। इसके साथ ही आप हमेशा उन्हें व्यवहारिक (be practical) रहने की सलाह दें।

बच्चों को सुनें और उनकी भावनाओं का सम्मान करें (listen your children and respect him)

बच्चों और युवाओं (children and young) में अक्सर देखा जाता है, वे छोटी-छोटी बातों को दिल पर लगा लेते हैं। दुखी हो जाते हैं और अपनी भावनाओं के बारे में किसी को नहीं बताते। यदि आपका बच्चा दुखी (sad) है, उदास (upset) है, तो उसे किसी भी हालत में अकेला (never leave him lonely) न छोड़ें।

उसके साथ प्यार से पेश आएं और उसकी समस्या को सुनें। बातचीत का सिलसिला बिल्कुल (communicate with him) न तोड़ें। बात-बात में जानने की कोशिश करें कि अगर बच्चा उदास क्यों है? अगर वह आपको समय नहीं दे रहा है, तो खाना खाने के समय उससे बातचीत कर सकते हैं।

घर में सकारात्मक माहौल बनाएं (Create positive atmosphere at home)

माहौल (atmsphere) का असर हर बच्चे पर पड़ता है। यदि घर में झगड़े और मारपीट का माहौल होगा तो बच्चे भी सीखेंगे। उनके अंदर नेगेटिविटी (negativity) घर कर जाएगी। बतौर पर माता-पिता (parents) आपकी जिम्मेदारी है कि बच्चे के लिए घर में हमेशा सकारात्मक और सुरक्षित (safe and secured) माहौल बनाए रखें। असल बात ये है कि आप जैसा बच्चों को बनाना चाहते हैं, आपको ठीक वैसा ही बच्चों के साथ पेश आना (be a role model for your kids) चाहिए और घर का माहौल वैसा ही रखना चाहिए।

मुश्किल घड़ी में बच्चों की मदद करें (Help children in difficult times)

जब बच्चे परेशान हो तो उसे रिलैक्स (relax) होना सिखाएं। उसे बताएं कि मन शांत (calm) रखकर किस तरह आप बड़ी से बड़ी मुश्किलों का सामना कर सकते हैं। भले काम मुश्किल लगे, उसे इंज्वाॅय (enjoy) करना सिखाएं। यदि मन शांत नहीं रख पाता है, तो बच्चे को कहें कि वह कभी-कभी खुद के लिए समय निकाले। अकेला बैठे, आत्मविश्लेषण करे। कभी-कभी उसे कहें कि अकेले वाॅक (walk) पर जाया करे। इससे भी मन में सकारात्मक एनर्जी (positive energy) आती है और वह खुद को मुश्किलों का सामना करने के लिए नए सिरे से तैयार (be ready for face new problems) कर पाता है। 

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