पीरियड्स की कुछ रहस्यमयी जानकारी | Facts about period?

पीरियड्स (periods) शुरू हुए कुछ साल बीतते नहीं कि लड़कियों को लगने लगता है कि उन्हें इसके संबंध में सारी बातें पता है। ठीक यही राय युवा महिलाओं और वयस्क महिलाओं (women) में भी है। लेकिन यकीन मानिए पीरियड्स (menstrual cycle) किसी रहस्य की तरह है। इसके संबंध में  आप जितना जानती हैं, उतना ही कम है।

इस लेख में हम पीरियड्स से जुड़ी कुछ ऐसी बातें जानेंगे, जो शायद आपने कभी सुनी ही न हो।

आप पीरियड्स के दौरान प्रेग्नेंट हो सकती हैं (You can get pregnant during your period)

पुरानी मिथ (myth) है कि पीरियड्स (periods) यानी माहवारी के दौरान सेक्स (sex) करने से महिलाएं (women) प्रेग्नेंट (pregnant) नहीं होती हैं। जबकि मासिक चक्र (menstrual cycle) प्रेग्नेंसी (pregnancy) से आपका बचाव नहीं करती है। 

इसके पीछे कई वजहें (reasons) हैं। पहला, कुछ महिलाओं को रक्तस्राव (bleeding) हो सकता है जब उनके अंडाशय (ovaries) हर महीने एक अंडा जारी (release an egg) करते हैं। इसे ऑव्युलेशन (ovulation) कहा जाता है। जब आप  ऑव्युलेट (ovulate) करते हैं, तो करते हैं तो आपकी प्रजनन क्षमता (fertility) चरम पर होती है। ऐसे में सेक्स (sex) करने से प्रेग्नेंसी (pregnancy) की संभावना काफी बढ़ जाती है।

दूसरा, रक्तस्राव (bleeding) रुकने के कुछ दिनों के भीतर या पीरियड्स (periods) खत्म होने से पहले आप डिंबोत्सर्जन कर सकती हैं। चूंकि शुक्राणु (sperm) आपके शरीर में 3 दिनों तक घूम सकते हैं, इसलिए आपकी अवधि के दौरान यौन संबंध बनाने से गर्भधारण (period could lead to conception) हो सकता है।

इसलिए अनचाहे गर्भ को रोकने (birth control) के लिए बेहतर है कि हमेशा कंडोम (condom) या डॉक्टर (doctor) की सलाह (suggestion) से गर्भनिरोधक दवाइयों (other form of birth control) का इस्तेमाल करें।

जिंदगी भर पीरियड्स में बदलाव होते रहते हैं (Your period changes throughout your life)

जैसे ही आपको अहसास होता है कि आप अपने पीरियड साइकिल (periods cycle) को समझ गए हैं, वैसे ही आपके पीरियड्स में कुछ ऐसे बदलाव (changes in periods) हो जाते हैं, जिससे आप अवगत नहीं थीं। असल में ऐसा आजीवन हार्मोन (changes in hormone) में होते बदलाव के कारण होता है। 

जैसे ही लड़कियों को पहली बार पीरियड (period) होता है, उसकी मासकि चक्र (mestrual cycle) की समयावधि लंबे समय तक चल सकती है। कहने का मतलब ये है कि एक लड़की के बीच दो पीरियड्स के अंतराल के बीच ठीक-ठाक गैप हो सकता है। सामान्यतः यह गैप 21 से 45 दिनों का होता है। जैसे-जैसे समय बीतता जाता है कि समयावधि 21 से 35 दिनों में बदल जाती है।

पेरिमेनोपॉज (perimenopause) के दौरान भी आपके शरीर में कई तरह के हार्मोनल बदलाव (Hormone changes) होते हैं। मेनोपॉज (menopause) होने से पहले की समय अवधि को पेरिमेनोपॉज कहा जाता है। इस दौरान महिलाओं के शरीर में कम एस्ट्रोजन बनता (body starts to make less estrogen) है। 

यही वजह है कि इन दिनों मासिक चक्र (menstrual cycle) का साइकिल भी बदल जाता है। कभी-कभी पीरियड्स (periods) के बीच लंबा गैप हो सकता है तो कभी बहुत कम गैप में भी पीरियड्स शुरू हो सकते हैं।

प्राकृतिक रूप से हो रहे बदलाव (natural changes in women body is normal) महिलाओं के लिए जरूरी और अच्छे हैं। इससे लगता है कि वे सामान्य स्थिति में है। लेकिन स्थिति विपरीत हो यानी अचानक माहवारी रुक जाए या बहुत ज्यादा ब्लीडिंग (bleeding) होने लगे, महिलाओं को सतर्क हो जाना चाहिए। 

मसिक चक्र के पीछे छिपा रहस्य है (PMS is a mystery)

पीरियड्स (periods) होने के कुछ दिनों पहले से ही लड़कियों को सामान्यतः पैरों में दर्द (pain in leg), कमजोरी (weakness), क्रेविंग (craving) या पेट में दर्द (stomach pain), मूड स्विंग (mood swing) होने लगते हैं।

चूंकि हर लड़की का शरीर भिन्न होता है, तो सब महिलाओं व लड़कियों को अलग-अलग तरह के अहसास होते हैं। लेकिन यह तय है कि माहवारी (menstrual cycle) होना एक प्राकृतिक चक्र (natural process) है और आवश्यक रूप से होगा। 

लेकिन डॉक्टरों को अब तक यह नहीं पता है कि आखिर ऐसा क्यों होता है? माना जाता है कि मासिक चक्र के दौरान लड़कियों के शरीर में कई तरह के हार्मोनल बदलाव (hormonal changes) होते हैं और मस्तिष्क में रासायनिक बदलाव (chemical changes in brain) भी होते हैं। इससे महिलाएं भावनात्मक परेशानियों का सामना कर सकती है।

मासिक चक्र की समस्याओं से बचना है तो अपनी जीवनशैली को नियंत्रित (control) और संतुलित (balanced) रखने की जरूरत है। नियमित एक्सरसाइज (regular exercise) आपको इस संदर्भ में मदद कर सकती है।

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