बच्चों को उनके डर से जीतना सिखाएं | Help your child to overcome fear

डरना (fear) स्वाभाविक (natural) है। हर कोई किसी न किसी चीज से जरूर डरता है। किसी को ऊंचाई (height) से डर लगता है, किसी को पानी (water) से डर लगता है। कोई चूहों (rat) से डरता है तो कोई छिपकली (lizard) देखकर दूर भाग जाता है। कहने का मतलब ये है कि डरता (fear) हर कोई है।

लेकिन कभी-कभी डर (fear) आपकी लाइफ (life) को पूरी तरह प्रभावित (effect) कर देता है। डर (fear) के कारण आपका काॅन्फिडेंस (confidence) डगमगा जाता है। खासकर बात बच्चे (children) की करें तो कभी-कभी उनका फोबिया (phobia) में बदल जाता है। ऐसे में जरूरी है कि उनके डर और उनकी एंग्जायटी (fear and anxiety) को समझा जाए। उन्हें उनके डर से रूबरू कराकर उन्हें आगे बढ़ने का मौका (opportunity) दिया जाए।

बच्चे के डर को स्वीकार करें (Accept your child’s fear)

सबसे पहले पैरेंट्स (parents) के साथ यह दिक्कत (problem) आती है कि वे बच्चे के डर को स्वाभाविक (normal) नहीं समझते। उन्हें लगता है कि बच्चा छोटा है। वक्त के साथ-साथ उसका डर (fear) भी खत्म हो जाएगा। ऐसा होना लाजिमी भी है। लेकिन इसके साथ ही यह बात भी सच है कि यदि आपने उसके डर (fear) को नहीं समझा, तो बच्चे के मन में वह डर ताउम्र के लिए बैठ जाएगा। संभवतः वह कभी भी अपने डर से जीत (defeat the fear) न सके।

बच्चे के साथ उसके डर के संबंध में बातचीत (talk) करें। ध्यान रखें कि शब्दों में बहुत ताकत (strength) होती है। उसके सामने कभी भी नेगेटिव शब्दों (negative words) का उपयोग न (don’t use) करें। खासकर उसके डर के संबंध में। जब आप बच्चे के साथ उसके डर के विषय में बात (talk about his fear) करते हैं, तो उसे अपना डर कम होता हुआ नजर आने लगता है।

सच बताएं और बच्चे का डर भगाएं (tell about the facts)

सबसे पहले तो यह समझें कि बच्चा क्यों (why) डर (fear) रहा है? अगर उसने कोई भूत (ghost) की फिल्म देखी और रात को अचानक उसे बिस्तर पर सोने से डर लगे। ऐसे में आप क्या करते हैं? यह कहते हैं, ‘ये सब बेवकूफी वाली बाते हैं। भूत-वूत कुछ नहीं होता है। तुम चुपचाप सो जाओ।’ 

इस बात से भले कुछ देर के लिए आपका बच्चा समझ जाए। लेकिन उसके अंदर का डर बाहर नहीं गया है। ऐसे में आप उसके डर को कैसे भगा सकते हैं? यह तथ्य बताकर की भूत (ghost) जैसी कोई चीज कभी किसी ने नहीं देखी (no existence) है। कुछ असली वाकया उससे शेयर (share) करें।

आप देखेंगे कि अपने आप उसके मन से यह डर भाग गया है। बच्चे को किसी भी तरह का डर हो, उसे हमेशा सच और तथ्य (facts) की जानकारी (inoformation) दें।

डर से लड़ना सिखाएं (tell him to fight with fear)

आप यह जानने की कोशिश करें कि आपका बच्चा किसी चीज से कितना ज्यादा डरता है? उससे कहें कि अपने डर का आंकलन (rating) करें। उसे 10 में से अपने डर को नंबर देने को कहें। यदि वह काफी ज्यादा डरता है तो वह अपने डर को 10 में से 10, 9 या 8 जैसे अंक (rate) देगा।

इसी से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि आपके बच्चे के मन में डर कितना गहरा हो चुका है। सवाल है ऐसे में आपको क्या (what you can do) करना है? ऐसे में बच्चे के अंदर आप कुछ पाॅजीटिव (positive) चीजों को शामिल करने की कोशिश (try) करें।

उदाहरण (example) के तौर पर समझें। यदि बच्चे को सोशल (social) होने से डर लगता है यानी लोगों के बीच बातचीत (talking) में उसे हिचकिचाहट (hesitat) होती है। उसके अंदर यह डर है कि लोग उसका मजाक (jokes on him) बनाएंगे।

ऐसे में बच्चे (children) को क्या करना चाहिए? शुरुआती दिनों में आप बच्चे के साथ हर जगह जाएं। उसके सामने लोगों के साथ बातचीत (talk with people) का सिलसिला शुरू करें। धीरे-धीरे अपने बातचीत में अपने बच्चे को भी शामिल (involve) करें। कुछ दिनों बाद उसे खुद अजनबियों (stranger) से बातचीत की पहल करने दें।

आप पाएंगे कि कुछ दिनों की मेहनत के बाद बच्चे में पाॅजीटिव बदलाव (positve changes) आया है।

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