4 गलतियां जो हर पैरेंट्स करते हैं | Parenting Mistakes

आमतौर पर कोई माता-पिता अपने स्तर किसी तरह की गलतियां नहीं करना चाहते। हर पैरेंट्स (parents) यही चाहते हैं कि उनके बच्चे के लिए वे बेस्ट करें और उनका बच्चा दूसरे बच्चों की तुलना में ज्यादा अच्छा और बेहतर साबित हो।

लेकिन पैरेंट्स की दिक्कत ये है कि वे अपने पैरेंटिंग स्टाइल (parenting style) पर इतना ज्यादा भरोसा करते हैं कि उसमें किसी तरह के फेरबदल की गुंजाईश नहीं छोड़ते।

अक्सर पैरेंट्स (parents) को पता ही नहीं चलता कि उनके बच्चे के लिए क्या सही है और आंख बंद करके वही करते रहते हैं, जो वह कर रहे हैं। जबकि कभी-कभी आपको अपनी गलतियों की ओर ध्यान देना जरूरी है। 

आपका पैरेंटिंग स्टाइल (parenting style) सही है या नहीं, यह बच्चे की विकास (development), उसके व्यवहार में सकारात्मक बदलाव (postitive changes) से ही पता चलेगा। आइए जानते हैं कि पैरेंट्स अक्सर किस तरह की गलतियों को बार-बार दोहराते हैं।

समस्याओं पर काम न करना (Not Trying to Fix Problems)

बच्चा देर तक जगता क्यों है? वह सही समय पर सोता क्यों नहीं है? टाइम टेबल (time table) के अनुसार चलता क्यों नहीं है? वह अक्सर टैंट्रम क्यों दिखाता है? ये वो छोटी-छोटी बातें हैं, जिनसे ज्यादातर पैरेंट्स परेशान रहते हैं।

अब सवाल उठता है कि इन परेशानियों से उबरने के लिए आप क्या करते हैं? शायद कुछ नहीं या फिर वही ट्रेडिशनल तरीके से बच्चे को सुलाने की कोशिश करते हैं। नतीजा क्या निकलता है? कुछ नहीं।

ऐसी सिचुएशन से डील करने के लिए आपको चाहिए कि अपने पैरेंटिंग पैटर्न (parenting pattern) में कुछ चेंजेज करें। बच्चा क्यों नहीं सोता? यह जानने की कोशिश करें। अगर वह किताबें (books) पढ़कर सोता है, तो उसे बुक्स पढ़कर सुनाएं। उसे सोने से पहले कोई शो देखना पसंद है, तो उस पर जोर दें।

इसी तरह आपको अपने पैरेंटिंग पैटर्न में कुछ छोटी-छोटी चीजों को शामिल करना होगा। यदि इनसे बात न बनें तो आप एक्सपर्ट की मदद ले कसते हैं ताकि आपकी परेशानी का समाधान निकल सके।

प्राॅब्लम को बहुत छोटा या बहुत बड़ा समझना (Overestimating or Underestimating Problems)

इससे पहले कि आप प्राॅब्लम को सुलझाने की कोशिश करते हैं, अकसर यह देखा जाता है कि पैरेंट्स की नजर में या तो प्राॅब्लम (problem) बहुत बड़ी हो जाती है या फिर बहुत छोटी।

बच्चे की उम्र, उसकी जिद, उसकी हो रही परवरिश से यह पता चलता है कि प्राॅब्लम छोटी है या बड़ी है।

सबसे पहले तो यह देखें कि आपका बच्चा कितना बड़ा है?

प्रीस्कूल (Preschooler) जाने की उम्र का है? उससे थोड़ा बड़ा या फिर टीनएजर (Teen)  है। बतौर पैरेंट्स इस बात का ध्यान रखें कि हर उम्र अलग होती है, हर उम्र में बच्चों के साथ डील करने के तरीके भी अलग होते हैं।

परेशानियों का समाधाान उसकी उम्र के हिसाब से निकालें। बचपन में से चीजें वर्क करती हैं, वही चीजें टीनेज या युवास्था में काम नहीं करती हैं।

बहुत ज्यादा उम्मीद करना (Having Unrealistic Expectations)

पैरेंट्स जो सबसे बड़ी गलती करते हैं, वे है अपने बच्चों से बहुत ज्यादा उम्मीद करना है। बच्चा स्कूल में है तो क्लास में फ़र्स्ट आए, स्पोर्ट्स में आगे हो। काॅलेज में एडमिशन कराना है तो सबसे अच्छे काॅलेज में जाए। इसी तरह की और भी उम्मीदें।

लेकिन क्या बतौर पैरेंट्स आपको नहीं लगता है कि बच्चे से हर समय उम्मीद करना कितना सही है? क्या आपकी उम्मीदें बच्चे के बाल मन पर बोझ तो नहीं है?

बच्चों से उम्मीद करना बुरा नहीं है, लेकिन वास्तविक उम्मीदें (realistic expectations) लगाना ही ठीक है। पैरेंट्स की उम्मीदें के चलते अक्सर बच्चा अपने मन की नहीं कर पाता। हमारे समाज में बच्चे बचपन से ही लेकर जवानी तक अपने पैरेंट्स के अनुसार चलता है।

इस तरह वह अपने मन की कभी नहीं करता। भविष्य में वह अपने बच्चों के साथ भी यही दोहराता है। बच्चे की पर्सनालिटी के विकास (personality development) के लिए यह तरीका सही नहीं है। उम्मीदें वास्तविक रखें। यकीनन बच्चा आपकी उम्मीद से ज्यादा करके दिखाएगा।

कंसीसटेंसी न होना (Being Inconsistent)

कभी बहुत ज्यादा  सख्त (sometimes very strict), तो कभी बहुत नर्म, कभी बहुत ज्यादा गुस्सैल तो कभी बहुत ज्यादा बेपरवाह नजर आता है। 

पैरेंट्स में ये सब गुण होने चाहिए। लेकिन ध्यान रखें कि जितना आप बच्चे को समझने की कोशिश करते हैं, बच्चा भी उतना ही आपको जानना चाहता है।

इसलिए अपनी पर्सनालिटी को स्थिर रखें ताकि बच्चे को पता हो कि आपको उसकी कौन सी बातें बुरी लग सकती हैं। बच्चा उसी अनुसार रिएक्ट करता है।

आपकी काॅन्स्टेंट पर्सनालिटी बच्चे के विकास के लिए काफी जरूरी है और बच्चा भी आपकी तरह अपने इमोशंस को सही जगह दिखाने की कला में माहिर हो पाएगा।

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