हिंदी है शान | Hindi is Our Pride

हम हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाते हैं। हमारे देश में सबसे ज्यादा बोली और समझी जाने वाली भाषा (language) भी हिंदी (Hindi) ही है।

सिर्फ हमारे ही देश (India) में नहीं बल्कि अंग्रेजी और मंडरानि चाइनीज़ (English and Mandarin chinese) के बाद पूरी दुनिया (workd) में सबसे ज्यादा बोली-समझे जाने वाली भाषा (language) हिंदी (Hindi) ही है। अंग्रेजी 1132 मिलियन लोग बोलते हैं, मंडारिन बोलने वालों की संख्या 1117 मिलियन है और हिंदी भाषा 615 मिलियन लोग बोल सकते हैं। इस आंकड़ों से देखें तो हिंदी महाशक्ति बनने की दमखम रखती है।

इसके बावजूद क्या हिंदी को वो सम्मान (respect) हासिल है, जिसकी वो हकदार है? सच कहूं, तो नहीं। 

हमारे घरों में बच्चों (kids) के जन्म (by birth) से ही हम उसे अंग्रेजी (English) में डांटते (scold) हैं, अंग्रेजी (English) में समझाते हैं और चाहते हैं कि वह अंग्रेजी में ही (think) सोचे। टीनएज (teenage) तक आते-आते ऐसा ही होता है। बच्चे की सोचने-समझने (thinking) और उनकी अभिव्यक्ति (expression) की भाषा (language) अंग्रेजी बन चुकी होती है। ऐसे में क्या हम कल्पना (imagine) भी कर सकते हैं कि कुछ सालों बाद हिंदी बची रहेगी? मुश्किल लगता है। ऐसा नहीं है कि हिंदी पूरी तरह लुप्त हो जाएगी। लेकिन हिंदी (Hindi) चरमराती हुई अवस्था तक जरूर पहुंच जाएगी।

क्यों नहीं होता हिंदी का सम्मान (what is the problem)

हम हिंदी (Hindi) का सम्मान (respect) सिर्फ इसलिए नहीं करते हैं, क्योंकि हमें अंग्रेजी (English) से अपार स्नेह (love) हो गया है। हालांकि ये स्नेह नाटकीय (dramatic love) ही है। यह बात इसलिए सच है कि अब भी प्रौढ़ उम्र वर्ग (middle age people) के लोग सोचने के लिए हिंदी भाषा का ही उपयोग (use Hindi to think) करते हैं। लेकिन यही लोग अपने बच्चों से उम्मीद (expect from kids) करते हैं कि अंग्रेजी में बातचीत (talk in Englis) करें और लोगों के सामने अपनी अंग्रेजी का दमखम दिखाएं। हमारे यहां अंग्रेजी महज एक भाषा न होकर, एक क्लास (English became a class) हो गई है।

अंग्रेजी (English) बोलने वाले हर व्यक्ति को सम्मान (get respect) की नजर से देखा जाता है। बिना उसके ज्ञान (knowledge) की जांच (test) किए, यह समझ लिया जाता है कि वह समझदार (intenlligent) है और दुनियाभर की जानकारी (knowledge) उसके पास है।

जब तक हम इस तरह की काल्पनिक सोच (imaginary thinking) से बाहर नहीं आएंगे, अंग्रेजी हमारे लिए स्टैंडर्ड (standard) बनी रहेगी। हिंदी को दोयम दर्जा ही दिया जाता रहेगा।

इसके अलावा, जो लोग अंग्रेजी नहीं बोल पाते हैं, वे अपनी मातृभाषा (mother tongue) को प्राथमिकता देते हैं। यह बिल्कुल सही भी है, क्योंकि मातृभाषा का सम्मान जरूर किया जाना चाहिए। लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हिंदी हमारी राज भाषा (language) है। वह भी सम्मान योग्य है। जहां आप अपनी मातृभाषा से काम नहीं चला सकते हैं, वहां हिंदी ही आपके लिए उपयोगी (useful language) साबित होती है। हिंदी को हेय दृष्टि से नहीं बल्कि सम्मान की निगाह से देखें। उसे बेहतर बनाने की चेष्टा (try) करें।

सवाल है हम सब मिलकर हिंदी को बेहतर करने के लिए क्या कर सकते हैं? बहुत कुछ कर सकते हैं। आइए कुछ बिंदुओं पर गौर करते हैं-

  • घरो में मातृ भाषा के बाद हिंदी को महत्व दें। मातृ भाषा में नहीं, तो हिंदी में बातचीत करें।
  • अभिव्यक्ति की भाषा हिंदी को बनाएं।
  • हिंदी में सोचें और समझें।
  • लेखन-पत्री का चलन (write letter) फिर से दोहराएं।
  • जो भाषाएं लिखित में नहीं होती हैं, वे एक न एक दिन समाप्त हो ही जाती हैं। इसलिए हिंदी में लेखन जरूर करें।
  • अपनी डायरी, प्रेम पत्र आदि लिखने के लिए हिंदी भाषा (choose Hindi language) चुन सकते हैं।
  • बच्चों को हिंदी की कहानियां, उपन्यास (Stories and novels) पढ़ने के लिए प्रेरित करें।
  • घर में अंग्रेजी के साथ-साथ हिंदी किताबों (Hindi books) का भी संकलन रखें।
  • बच्चे ही नहीं बड़े भी हिंदी पत्रिकाएं (Hindi magazine) पढ़ें।
  • हिंदी अखबारों (newspaper) से अपना रिश्ता बनाएं।
  • गलत हिंदी लिखने वाले को जरा भी सपोर्ट (support) न करें।
  • मूल काम के लिए हिंदी भाषा का चयन (choose hindi) करें, जैसे रिसर्च (research) आदि।
  • इंटरनेट (internet) की दुनिया में हिंदी (Hindi) में अपार सामग्री (matter) मौजूद है। लेकिन विश्वसनीय (authentic) बहुत कम। कोशिश करें, वही लिखें जो सही हो। कुछ भी लिखने और इंटरनेट में अपलोड (upload) करने से पहले उसकी विश्वसनीयता को अच्छी तरह जांच (analysis) लें।
  • जब आप सही हिंदी लिखेंगे, उसकी विश्वसनीयता की जांच करेंगे, तभी गैर हिंदी भाषी भी हिंदी का सम्मान (respect) करेंगे।

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