जब बच्चा तनाव में हो (when a child is stressed)
बड़ों की तरह बच्चे भी खुद को तनाव से घिरा हुआ पाते हैं। दरअसल परिवार के साथ मतभेद, दोस्तों से बेहतर बनने का दबाव बच्चों के लिए तनाव की वजह बन रहा है। हालांकि विशेषज्ञों का दावा है कि सीमित मात्रा में तनाव सामान्य है।
बच्चों के विकास के लिए यह जरूरी भी है। लेकिन जब तनाव का स्तर हद से ज्यादा बढ़ जाता है, तो बच्चे की मनःस्थिति के लिए यह सही नहीं है। ऐसे में पैरेंट्स की जिम्मेदारी अपने बच्चों के प्रति बढ़ जाती है।
वे अपने पैरेंटिंग स्टाइल में कुछ चीजों को शामिल कर बच्चों के तनाव के स्तर को कम कर सकते हैं।
खेलने का समय दें
कुछ सालों पहले तक छोटे बच्चे घर से बाहर निकलकर गली-नुक्कड़ में कई तरह के आउटडोर गेम्स खेलते थे। लेकिन आज ऐसा कहीं नहीं देखने को मिलता। बच्चों का ज्यादा से ज्यादा समय फोन या लैपटॉप स्क्रीन पर गुजर रहा है।
इसका मतलब है कि बच्चे ज्यादातर समय अकेले गुजारते हैं। संभव हो तो अपने बच्चों को आउटडोर गेम्स खेलने के लिए प्रोत्साहित करें। उन्हें खेलने के लिए रोजाना निश्चित समय दें।
उसके दोस्त बनें
अब बच्चों को स्ट्रिक्ट पैरेंट्स नहीं चाहिए। हालंाकि जब जरूरी हो तो पैरेंट्स को सख्त होना पड़ता है। लेकिन इसके साथ ही पैरेंट्स को फ्रेंडली पैरेंट भी बनना पड़ेगा। ऐसा करके आप बच्चे के अच्छे दोस्त बन सकते हैं।
ध्यान रखें कि दोस्तों के साथ समस्या साझा करना हमेशा आसान होता है। इसका मतलब है कि जब भी आपका बच्चा किसी परेशानी में होगा तो मदद के लिए वह आपके पास ही आएगा। अतः बच्चों के अच्छे दोस्त बनने की कोशिश करें।
तनाव मैनेज करना सिखाएं
कदम-कदम पर बच्चों का हाथ थामना सही नहीं है। बच्चों को बताएं कि किसी परेशानी में फंसने पर या किसी बात से तनाव होने पर बौखलाए नहीं। इसके उलट अपनी स्थिति को समझने की कोशिश करे। तभी वह अपने स्ट्रेस को मैनेज करना सीख पाएगा।
यदि आप बात-बात पर बच्चे की मदद करने के लिए तत्पर रहेंगे तो बच्चा कभी भी खुद से अपनी परेशानियां सुलझाना नहीं सीख पाएगा। हां, आप उसे दिशा दे सकते हैं। बतौर पैरेंट्स आप बच्चे की गतिविधियों पर नजर रखें। ध्यान दें कि कब वह स्थिति को नहीं संभाल पा रहा है। इसके बाद आप उसकी मदद करें।
गलतियों से सीखने दें
जब बच्चा अपनी परेशानियां और तनाव को खुद मैनेज करने की कोशिश करता है, तो जाहिर है गलतियां होती हैं। उसकी गलतियों को हाईलाइट न करें। इसके उलट बच्चे से कहें कि अपनी गलतियों से सीखें।
उसे कहें किसी भी गलती को बार-बार न दोहराए। दोहराई गलतियां आदत का हिस्सा बन जाती हैं। इसलएि गलतियों को दोहराने से रोकें। साथ ही इस बात का ध्यान रखें कि गलती होने पर बच्चा खुद को तनाव से घिरा हुआ महसूस न करे।
व्यवस्थित रहने को कहें
बच्चे को समझाएं कि बेतरतीब रहना तनाव के मुख्य कारणों में से एक है। इसलिए उसे सिखाएं कि वह सिर्फ अपनी किताबें ही सलीके से न रखे बल्कि अपनी हर चीज को व्यवस्थित ढंग से रखे। अपने कमरे को साफ-सुथरा रखे। बच्चे का रहन-सहन जितना व्यवस्थित होगा, उतना ही सुगठित उसका निजी जीवन होगा। इस तरह वह तनाव से दूर भी रहेगा।
अंततः आपको बच्चे की मनःस्थिति को समझते हुए उनके साथ डील करना चाहिए। ध्यान रखें कि हर बच्चे का मानसिक स्तर भिन्न होता है। सब बच्चे के साथ आप एक ही तरह से डील नहीं कर सकते। इसलिए जैसी उनकी जरूरत हो, उसे समझकर ही उसके साथ बर्ताव करें।
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