असफलता को कैसे स्वीकार करें | Ways to Manage Failure

हार (failure) जिंदगी (life) का एक अहम (important) हिस्सा (part) है। यदि आपने कभी हार का स्वाद नहीं चखा है, तो यकीन मानिए जीतने (success) का मजा नहीं ले सकते। यह ठीक वैसा ही है कि जब तक तपती धूप में आपके पांव न जले हों, तब तक आप छांव के महत्व को नहीं समझेंगे।

मतलब साफ है कि हारना जिंदगी का एक अभिन्न हिस्सा है। लेकिन कुछ लोग हार से इतने ज्यादा आहत हो जाते हैं कि जिंदगी में आगे बढ़ने की चाह छोड़ देते हैं।

इतना ही नहीं कुछ लोग तो हारने के कारण खुद को हर तरह की प्रतिस्पर्धा (competition) से दूर कर लेते हैं। लेकिन क्या वाकई एक हार आपकी पूरी जिंदगी को डिफाइन (define) करती है? बिल्कुल नहीं।

हालांकि हार से उबरना मुश्किल (tough) है। लेकिन यकीन मानिए हार को भूलकर आगे बढ़ना नामुमकिन (impossible) नहीं है। आइए आज जानते हैं कि हार को भूलकर आगे कैसे बढ़ा जा सकता है।

अपने भावनाओं को स्वीकार करें (accept your emotions)

जाहिर है, हार (failure) हुई है तो दिल (hurts) दुखेगा। मन खराब (feels sad) होगा। लेकिन कुछ लोग हारने के बाद बार-बार खुद से यही सवाल करते हैं कि आखिर हार हुई कैसे? कहां चूक हुई?

असल में इस तरह के लोग अपनी हार को स्वीकार नहीं कर पाते हैं। जब तक आप अपनी हार को (recognise your feelings) स्वीकार नहीं करेंगे, तब तक आप जिंदगी में आगे नहीं बढ़ पाएंगे।

कुछ समय तक हार के कारण दुखी (sad) होना, लाजिमी है। लेकिन जल्द ही हार को स्वीकार (accept your failure) करें, खुद को हारने का मौका दें। जल्द से जल्द से हार के इस दर्द (pain) से उबरने की कोशिश करें।

हार को पर्सनली न लें (Don’t take it personal)

क्या एक हार आपकी पहचान (identity) पर सवालिया निशान लगा सकती है? अगर आपको लगता है कि आपकी हार से ही लोग आपको (recognize) पहचानेंगे, तो यह आपकी गलतफहमी है।

ध्यान रखें कि लोगों के पास इतना समय नहीं है कि वे आपकी हार की सूचि (list of your failures) बनाकर अपने पास रखें। जब आप उनके पास जाएं, तो वे आपको अहसास कराने लगे कि देखो तुम हारे हुए व्यक्ति हो।

अपनी हार को कभी भी पर्सनली (personally) न लें। इसी तरह सफलता (success) को भी पर्सनली नहीं लेना चाहिए। जिस तरह जीत कर आप और बेहतर करने के लिए प्रेरित (inspired) होते हैं, ठीक इसी तरह हारने के बाद खुद को संभालें और दोबारा कोशिश करने के लिए प्रेरित हों।

इस बात को भी समझें कि अगर हार गए हैं, तो अब सच्चाई नहीं बदल जाएगी। वैसे भी न ही सफलता और न ही हार, आपके साथ ताउम्र चिपके रहेंगे। दोनों से ही बहुत कुछ सीखने (learn) को मिलता है। अपनी हार को भी एक सीख की तरह लें और आगे बढ़ (move on) जाएं।

दूसरे क्या सोचेंगे (what anyone else will think)

जैसा कि कुछ देर पहले ही बताया है कि दूसरे क्या सोचेंगे? सच मानिए, दूसरे लोग आपकी हार (failure) के बारे में कुछ नहीं सोचते हैं। हां, कुछ लोग ऐसे होते हैं, जो आपकी हार से आपको जज (judge) करने लगते हैं। 

लेकिन जरा गौर करें कि जो लोग आपकी हार को जज कर रहे हैं, वे निजी जिंदगी में कितने सफल (success) हैं? आपको अपना जवाब अपने आप मिल जाएगा।

अपनी हार और अपनी जीत, दोनों को स्वीकार (accept your failure and success) करना बहुत आसान है। आपको सिर्फ अपनी बनाई हुई शर्तों (terms) को फाॅलो (follow) करना है। अपने बनाए हुए लक्ष्य (goals) हासिल करने हैं। दूसरों को खुश करने के लिए आपकी सफलता नहीं होती है। इसलिए हार भी आपकी है और जीत भी आपकी है।

हार से खुद को बेहतर बनाएं (Use failure as a way to improve)

कहते हैं कि कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती है। जानते हैं क्यों? क्योंकि जो जीतता है, वह अपने लक्ष्य (goals) को हासिल कर नए लक्ष्य तय करता है। जो हारता है, वह अपनी हार से बहुत कुछ सीखता (learn from your failures) है ताकि दोबारा अपनी पुरानी गलतियों (mistakes) को न दोहराए।

इसलिए अपनी हार को हार की तरह नहीं बल्कि जिंदगी (life) की सीख (lesson) की तरह लें। हार गए हैं, इससे कुछ सीखें और आगे की ओर (move on) रुख करें।

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