प्रेग्नेंसी में सोने की सही दिशा | Tips on How to Sleep when Pregnant

गर्भावस्था (pregnancy) में सोने की सही दिशा (direction) का पता होना बहुत ही जरूरी है। गलत दिशा (wrong direction) में सोने (sleep) या गलत तरीके से सोने के कारण गर्भ में पल रहे शिशु के स्वास्थ्य पर असर (certain body positions might affect their health or that of the fetus) पड़ सकता है। खासकर आखिरी तिमाही (especially in the third trimester) में हर गर्भवती महिला सोने की अपनी पाॅजिशन को लेकर काफी सतर्क रहती हैं।

सोने के दौरान सतर्क होना सही भी है। नेशनल स्लीप फाउंडेशन (A National Sleep Foundation) के एक सर्वेक्षण के अनुसार 78 फीसदी महिलाएं गर्भावस्था के दौरान सोने में परेशानी (women have more trouble sleeping when pregnant) महसूस करती हैं। 

जबकि 15 फीसदी महिलाओं गर्भावस्था की आखिरी तिमाही में रेस्टलेस लेग सिंड्रोम ( restless leg syndrome) का अनुभव करती हैं।

कई महिलाएं तो प्रेग्नेंसी के दौरान थकान (tired) महसूस करती हैं। ऐसा होना आम बात है। खासकर पहली और तीसरी तिमाही (first and third trimesters) में। इस कारण महिला की नींद बाधित होती है।

कुछ उपायों को अपनाकर गर्भवती महिलाएं सोने की दिशा को बेहतर कर सकती हैं। इस लेख में जानेंगे कि सोने की कौन सी पाॅजिशन सही होती है।

बेस्ट स्लीपिंग पाॅजिशन (Best sleeping positions)

पहली तिमाही (first trimesters) में महिलाएं किसी भी पाॅजिशन (position) में सो सकती हैं। गर्भवती महिला जिस भी दिशा में सहज महसूस (feels comfortable) करे, उसी दिशा में सोना सही होगा। चाहे वह पीठ के बल लेट सकती है, पेट के बल (on her back, side, or stomach) या फिर जैसे भी उन्हें सोना पसंद हो।

असल में पहली तिमाही में गर्भाशय (uterus) अब तक इतना बड़ा नहीं होता है, जो कि नींद में बाधा (interfere with sleep) डाल सके। हालांकि पहली तिमाही (first trimesters) में दूसरे किस्म की समस्याएं या कहें गर्भावस्था (pregnancy symptoms) के अन्य लक्षण होते हैं, जो कि महिला को सोने नहीं देती। इनमें उल्टी आना, भूख लगना (nighttime hunger), हार्मोन में बदलाव (hormonal changes) आदि शामिल हैं।

दूसरी और तीसरी तिमाही (second and third trimesters) में पहुंचते ही महिला को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। विशेषज्ञों की सलाह अनुसार गर्भवती महिलाओं को बाईं ओर सोना (sleep on the left side) चाहिए। इस दिशा में सोने से गर्भाशय में रक्त का प्रवाह (maximizes blood flow to the uterus) अच्छा रहता है और लिवर पर दबाव भी (without putting pressure on the liver) नहीं पड़ता। जिन महिलाओं को प्रेग्नेंसी के दौरान नितंब और पीठ में दर्द (hip or back pain during pregnancy) होता है, वे अपने घुटने के नीचे एक या दो तकिया (pillow or two between the knees) रख कर सो सकती हैं। इससे आराम से सोने में मदद मिलती है।

जिन महिलाओं को दाहिने (right side) ओर सोने की आदत है, वे दाईं ओर सो सकती हैं। अब तक ऐसी कोई रिसर्च नहीं हुई है, जिससे यह पता चले कि दाईं ओर सोना गर्भवती महिलाओं के लिए हानिकारक है।

जिन महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान सीने में जलन (heartburn) की शिकायत होती है, वे सोने के लिए पीठ के नीचे तकिया रख (raising the upper body with a few pillows) कर सो सकती हैं।

पैरों के नीचे तकिया रखकर सोने से पैरों में दर्द और सूजन (swelling and leg pain) में कमी आती है।

बैक सपोर्ट (back support) के लिए प्रेग्नेंसी पिल्लो या बाॅडी पिल्लो (body pillow or pregnancy pillow) का इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे शरीर को आराम मिलता है।

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