मूड डिसऑर्डर से जुड़े मिथ | Common myths about Mood Disorders

इंटरनेट में मेंटल हेल्थ (mental health) से जुड़ी तमाम तरह की सूचनाएं (information) मौजूद हैं। कुछ सही हैं, कुछ गलत हैं। लेकिन सामान्य लोगों के लिए यह चुनौतियों (challenges) से भरा हुआ है कि किस सूचना को सही समझा जाए और किसे नहीं। 

खासकर मूड डिसऑर्डर (mood disorder) की बात करें, तो इसके साथ कई तरह के मिसकंसेप्शन (mis conception) भी हैं, जिन्हें समझना आसान नहीं है। 

हालांकि खुशकिस्मती से हाल के दिनों में मूड डिसऑर्डर (mood disorder) जैसे डिप्रेशन या एंग्जायटी (depression or anxiety) से जुड़ी कई तरह की स्टिगमा या टैबू (stigma/taboo) से संबंधित सही जानकारियां भी इंटरनेट में मौजूद हैं।

आज हम इस लेख में इसी तरह के टैबू (taboo) को दूर करते हुए कुछ मिथ और मूड डिसऑर्डर से जुड़े तथ्य पर बातचीत करेंगे।

मिथ – क्रिएटिविटी और मूड डिसऑर्डर एक-दूसरे के पूरक हैं। (Creativity and mood disorders go hand in hand)

तथ्य – मूड डिसऑर्डर (mood disorder) मानसिक बीमारी (mental disorder) है। इस तरह समझा जाए, तो क्रिएटिविटी और मूड डिसऑर्डर का आपस में कोई संबंध नहीं है। ये बात और है कि जो क्रिएटिव (creative) लोग होते हैं, वे एक ही बात पर बार-बार सोचते हैं। बहुत ज्यादा सोचते हैं। इससे उन्हें टेंशन (tension) भी होती है। लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि क्रिएटिविटी और मूड डिसऑर्डर (creativity and mood disorder), एक-दूसरे के पूरक हैं।

हालांकि यह भी सच है कि कई ऐसे रचनात्मक लोग हैं या क्रिएटर हैं, जिन्हें किसी तरह का मूड डिसऑर्डर (mood disorder) से जूझना पड़ा है। इसके बावजूद विज्ञान (science) में अब तक ऐसा कोई सबूत नहीं मिला है, जिससे यह पता चले कि क्रिएटिविटी और मूड डिसऑर्डर के बीच कोई लिंक है।

मिथ – मूड डिसऑर्डर सिर्फ इच्छा शक्ति की कमी है। (Mood disorders are simply a lack of willpower)

तथ्य – मूड डिसऑर्डर (Mood disorder) एक रोग है, जिन्हें कोई अपनी इच्छा से दूर नहीं करता है। हालांकि यह सच है कि इच्छा शक्ति की कमी (lack of willpower) या खुद पर कम नियंत्रण (poor self-control) होना मूड डिसऑर्डर (Mood disorder) का एक संकेत या लक्षण (signs or symptoms) हो सकता है। 

जो लोग डिप्रेशन और एंग्जायटी (depression or anxiety) का शिकार हैं, उन्हें घर और दफ्तर में काम करते हुए मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। उन्हें किसी तरह के टास्क को पूरा करने में भी मुसीबत महसूस होती है।

ऐसे लोग सामाजिक अनुष्ठानों (social event) में जाने से भी बचते हैं। यही नहीं डिप्रेशन या एंग्जायटी (depression or anxiety) के मरीज बिस्तर से उठने या किसी काम करने में भी काफी आलस महसूस करते हैं। उन्हें अपने अंदर इच्छा शक्ति की भी कमी महसस होती है।

लेकिन यह लक्षण आलस्य (laziness) के कारण नहीं है। इसके उलट डिप्रेशन या अन्य मूड डिसऑर्डर की वजह से रेग्यूलर एक्टिविटी में भी परेशानी होने लगती है।

मूड डिसऑर्डर (mood disorder) के मरीजों में हमेशा एनर्जी की कमी (lack of energy) और एकाग्रक्षमता (lack of concentration) में कमी होती है। वे अपनी जिंदगी में हताश (hopeless) भी होते हैं और किसी भी चीज से आसानी से मोटिवेटेट (motivate) नहीं होते हैं।

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