Psychology

लाॅकडाउन में जब बच्चे आपस में लड़े (How to manage fighting kids during a lockdown)

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कोरोनावायरस के कारण हर व्यक्ति चैबीसो घंटे अपने घर में रहने के लिए मजबूर है। यह स्थिति चिंताजनक तो है ही साथ ही पैरेंट्स के लिए चुनौतीपूर्ण भी है। दरअसल बच्चे घर से बाहर नहीं निकल पा रहे। ऐसे में बच्चों के आपसी झगड़े भी बढ़ रहे हैं।

कहने का मतलब यह है कि भाई-बहनों का अपसी तनाव, झगड़ा बढ़ता जा रहा है। सामान्य दिनों में बच्चों के झगड़े अलग किस्म के होते हैं। जबकि इन दिनों पैरेंट्स के लिए उनके झगड़ों को सुलझाना काफी मुश्किल है।

जाहिर सी बात है कि जब बच्चे अपने दोस्तों के साथ खेल नहीं सकते, स्कूल नहीं जा सकते, किसी तरह की एक्टिविटी में हिस्सा नहीं ले सकते। बच्चों के लिए भी यह स्थिति काफी कष्टकर है। पैरेंट्स के लिए जरूरी हो जाता है कि वे बच्चों को मिलजुलकर रहना सिखाएं।

सख्ताई से पेश न आएं

सामान्य दिनों की बात और होती है। आप उन्हें डांट सकते हैं, उन्हें कड़े शब्दों में कुछ कह सकते हैं। लेकिन ऐसा आप मौजूदा समय में न करें। अगर आप बच्चों के साथ कठोरता से पेश आएंगे तो घर का माहौल नेगेटिव हो सकता है बल्कि घर में टेंशन या तनाव का स्तर बढ़ सकता है।

इसके बजाय बच्चे जब झगड़े तो उन्हें नर्म शब्दों में समझाएं कि इस समय लड़ना झगड़ना सही नहीं है। उनकी आपसी लड़ाई की वजह से घर में चैबीस घंटे गुजारना मुश्किल हो सकता है।

भावनात्मक रूप से स्थिर बनें

यह बात सभी जानते हैं कि बच्चे अपने पैरेंट्स का आइना होते हैं। यदि आप बच्चों के सामने बार-बार लड़ेंगे या झगड़ेंगे तो बच्चों में भी यह प्रवृत्ति बढ़ेगी। संभवतः आपको यह बात समझ भी न आए और घर का माहौल दिनों दिन बिगड़ता रहे। इसलिए बच्चों को गाइड करने से पहले जरूरी है कि आप खुद अपने व्यवहार पर गौर करें।

आपको न सिर्फ शारीरिक रूप से खुद को मजबूत बनाना है बल्कि भावनात्मक रूप से भी खुद को स्थिर रखना है। बच्चों को नेगेटिव चीजों से दूर रखने के लिए यह सुनिश्चित करें कि आप खुद पाॅजीटिव सोच बनाए रखें।

बच्चे को समझें

यह बात आप जानते ही होंगे कि बच्चा तनावग्रस्त होता है तभी वह गुस्सा दिखाता है या चिड़चिड़ेपन से भर जाता है। असल में बच्चे अपने तनाव को वयस्कों की तरह नहीं हैंडल कर पाते। इसलिए जब बच्चा गुस्से में हो तो उससे बातचीत करें।

बातचीत के दौरान जानने-समझने की कोशिश करें कि वह ऐसा व्यवहार क्यों कर रहा है? कहीं उसके मन में उसकी भवनाओं के प्रति आपके रिएक्शन का डर तो नहीं? बच्चे अकसर अपनी भावनाओं को व्यक्त करने से डरते हैं।

उन्हें लगता है कि उनके पैरेंट्स उनकी भावनाओं को समझेंगे नहीं बल्कि उन पर गुस्सा करेंगे। यदि आपके बच्चे में ऐसी सोच है तो आपकी जिम्मेदारी बनती है कि बच्चों के साथ अच्छी तरह पेश आएं। उन्हें समझने की कोशिश करें।

घर में बच्चों के लिए ऐसा माहौल बनाएं, जिसमें वह खुद को सहज महसूस करें। इस सबके साथ-साथ बच्चों को महामारी कोरोनावायरस के बारे में भी बताएं। उन्हें समझाएं कि उम्मीद रखना और मन को स्थिर बनाए रखना जरूरी है।

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